दूसरी बार दिल्ली की सैर
दिल्ली से आते समय जो हुआ वह घटना बहुत अजीब था मै जिस दिन दिल्ली से घर आ रहा था | तो मेरे रूम के पास के कुछ लोग थे जो मेरे साथ घर चलने के लिए तैयार थे क्योकि वे लोग मेरे गॉव से लगभग 129 KM दूर उन लोगो का घर था इसलिए वे लोग मेरे साथ चलने के लिए तैयार थे उस समय रेलगाड़ी में बहुत ज्यादा भीड़ चल रही थी चाहे बुकिंग हो या जनरल हर बोगी में भीड़ कसा कस चल रही थी लेकिन ये था की बुकिंग बोगी में सीट अच्छी से मिल जाते मैंने तो बुकिंग नहीं कराया था क्योकि मुझको ठीक से उस दिन घर जाने का प्लान नहीं था | लेकिन उस दिन मै जिस काम से रुका था वो काम उसी दिन हो गया और उन लोगो के साथ ही मै भी रूम से निकल गया | जब रेलवे स्टेशन पहुंचे तो देखा कि इतना ज्यादा भीड़ है कि पैर भी कहि नहीं रख सकते है मैंने तुरन्त ही पास खड़े T.T. से बुकिंग कराया जो लोग मेरे साथ आये थे क्योकि जनरल बोगी में उन लोगो को नहीं बैठा पाउँगा क्योकि कुछ छोटे - छोटे बच्चे थे | मैंने अपना बुकिंग अभी नहीं कराया था क्योकि मैंने सोचा कि इन लोगो के बैठने के बाद मुझे अगर जनरल में सीट मिल गया तो ठीक नहीं तो बुकिंग करा लेंगे | उन लोगो को बैठाकर मै जनरल बोगी में सीट देखने चल दिया जनरल बोगी में मुझे अच्छी सी सीट T.T. ने दिलवा दिया | मैने सोचा कि क्यों न साथ आये लोगो से मिल लू मैंने T.T. से कहा कि मै अभी आता हु T.T. बोला ठीक है जल्दी आना तुम्हरा सीट मिल जायेगा और मै चला गया |
जब मै उन लोगो से मिलकर आ था जो देखा उसको देखकर मेरे आंखे खुली कि खुली रह गयी मैंने देखा कि जनरल बोगी के सामने बहुत ज्यादा भीड़ लगी है और C.R.P.F. वाले लाठी पर लाठी लोगो के शरीर पर बरसा रहे थे मै तो डर गया और पीछे के तरफ मुड़कर बुकिंग वाले बोगी के पास चला गया और खड़ा था तभी एक T.T. आया मैंने T.T. से पूछा कि ये C.R.P.F. वाले लोगो के ऊपर इतने तेज लाठी क्यों बरसा रहे है तब T.T. ने बताया कि ये दिल्ली है यहां पर जनरल बोगी में चढ़ने के लिए लाइन से चढ़ना होता है अगर सभी लोग एक साथ चढ़ेंगे तो ऐसे ही पिटाई होती है फिर मै टी.टी. से बोला कि मेरे लिए एक बुकिंग कर दीजिए तब T.T. बोला कि अब बुकिंग नहीं हो सकती , हाँ तुम चाहो तो जनरल बोगी में सीट पर बैठ सकते हो मैंने पूछा वो कैसे फिर T.T. बोला कि मै तुम्हारे लिए सीट का बन्दोबस्त कर दूँगा लेकिन तुमको कुछ रूपये देने होंगे | मैंने T.T. को कुछ रूपये देकर जनरल बोगी में आसानी से सीट पर बैठ गया | फिर उसके बाद मै उस सीट से जबतक नहीं उठा तबतक कि रेलगाड़ी चल नहीं दिया क्योकि मुझे डर था कि फिर से म्रेरा सीट न मिले |
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